नव दुर्गा स्वरूप:  माँ के नौ महत्वपूर्ण रूप 

Image Credit: Social Media

नवरात्रि का महत्व भारतीय संस्कृति में अत्यधिक है, और इस अवसर पर नव  दुर्गा स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नौ महत्वपूर्ण रूप के रूप में  जाना जाता है। यहाँ हम उन नौ दुर्गा स्वरूपों की रोशनी में चलते हैं।   

शैलपुत्री 

नव दुर्गा का पहला रूप, वह शैलपुत्री हैं, जिन्होंने पहाड़ों की पुत्री के  रूप में प्रकट होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद दिया. वे मां पार्वती के रूप  में हिंदू धर्म की प्रतिष्ठित देवी हैं.

1/9

Image Credit: Wikipedia

ब्रह्मचारिणी 

दूसरे रूप में, मां दुर्गा ब्रह्मचारिणी बनीं, और तपस्या में लीन हो गईं।  वे ज्ञान और ध्यान का प्रतीक हैं, और भक्तों को मार्गदर्शन देतीं हैं.

2/9

Image Credit: Wikipedia

चंद्रघंटा 

इस रूप में, वे चंद्रमा के समान शीतल और सुंदर दिखती हैं. वे श्रृंगार और  सौंदर्य का प्रतीक हैं, और अपने भक्तों को शांति और सुख देतीं हैं.

3/9

Image Credit: Wikipedia

कुष्मांडा 

इस रूप में, मां दुर्गा ने ब्रह्माण्ड की रचना की आदि की पूजा की, और उन्होंने ब्रह्माण्ड को उत्पन्न किया.

4/9

Image Credit: Wikipedia

स्कंदमाता 

इस रूप में, मां दुर्गा अपने पुत्र स्कंद के साथ होती हैं, और उनकी मातृता  का प्रतीक दिखाती हैं. वे अपने भक्तों के लिए सुरक्षा का प्रतीक होती हैं.

5/9

Image Credit: Wikipedia

कात्यायनी 

देवी कात्यायनी के रूप में, वे अपनी भक्तों की प्रार्थनाओं को सुनती हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

6/9

Image Credit: Wikipedia

इस रूप में, मां दुर्गा भयानक और महाकाली के रूप में प्रकट होती हैं. वे  अधर्मियों को पराजित करती हैं और अपने भक्तों को सुरक्षा प्रदान करती हैं.

7/9

कालरात्रि 

Image Credit: Wikipedia

इस रूप में, मां दुर्गा अपने भक्तों को पवित्रता और शुद्धता की महत्वपूर्ण  शिक्षा देती हैं. वे सबके दुखों को हरतीं हैं और सुख देतीं हैं.

8/9

महागौरी 

Image Credit: Wikipedia

अंतिम रूप में, मां दुर्गा अपने भक्तों को सिद्धियों की प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं, और उनकी इच्छाओं को पूरा करती हैं.

9/9

सिद्धिदात्री 

Image Credit: Wikipedia

नव दुर्गा स्वरूप की पूजा नवरात्रि के दिनों में की जाती है और यह हमें माँ  के विभिन्न रूपों के प्रति भक्ति और समर्पण की महत्वपूर्ण शिक्षा देती है।

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।