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नवरात्रि का महत्व भारतीय संस्कृति में अत्यधिक है, और इस अवसर पर नव दुर्गा स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नौ महत्वपूर्ण रूप के रूप में जाना जाता है। यहाँ हम उन नौ दुर्गा स्वरूपों की रोशनी में चलते हैं।
नव दुर्गा का पहला रूप, वह शैलपुत्री हैं, जिन्होंने पहाड़ों की पुत्री के रूप में प्रकट होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद दिया. वे मां पार्वती के रूप में हिंदू धर्म की प्रतिष्ठित देवी हैं.
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दूसरे रूप में, मां दुर्गा ब्रह्मचारिणी बनीं, और तपस्या में लीन हो गईं। वे ज्ञान और ध्यान का प्रतीक हैं, और भक्तों को मार्गदर्शन देतीं हैं.
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इस रूप में, वे चंद्रमा के समान शीतल और सुंदर दिखती हैं. वे श्रृंगार और सौंदर्य का प्रतीक हैं, और अपने भक्तों को शांति और सुख देतीं हैं.
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इस रूप में, मां दुर्गा ने ब्रह्माण्ड की रचना की आदि की पूजा की, और उन्होंने ब्रह्माण्ड को उत्पन्न किया.
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इस रूप में, मां दुर्गा अपने पुत्र स्कंद के साथ होती हैं, और उनकी मातृता का प्रतीक दिखाती हैं. वे अपने भक्तों के लिए सुरक्षा का प्रतीक होती हैं.
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देवी कात्यायनी के रूप में, वे अपनी भक्तों की प्रार्थनाओं को सुनती हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.
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इस रूप में, मां दुर्गा भयानक और महाकाली के रूप में प्रकट होती हैं. वे अधर्मियों को पराजित करती हैं और अपने भक्तों को सुरक्षा प्रदान करती हैं.
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इस रूप में, मां दुर्गा अपने भक्तों को पवित्रता और शुद्धता की महत्वपूर्ण शिक्षा देती हैं. वे सबके दुखों को हरतीं हैं और सुख देतीं हैं.
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अंतिम रूप में, मां दुर्गा अपने भक्तों को सिद्धियों की प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं, और उनकी इच्छाओं को पूरा करती हैं.
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सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।